फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है | शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है || Tarun Kumar Thakur,Indore (M P) "मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"
मैं छोटा ,
मेरा मतलब छोटा ,
मनसूबे / हौंसले है ...
मगर छोटे !
लगा मत बैठना ...
मेरी परवाज़ का अंदाजा !!!
देखकर ...
ये मेरे ...पर छोटे !
हम भी chote है, पर dosto के hoslo से हम भी उड़ने का jazba महसूस करते है
एक फूंक तुम्हारी भी बहुत दूर ले आई है दोस्त !ऐसे ही फूंक मार दिया करो ...
बहुत सुंदर! ऊँची परवाज़ का जज़्बा ही दूर गगन में ले जाता है
आदरणीया अनीता जी ! नमस्कार ! आपको व स्नेहीजनो को ,नव आंग्ल/प्रचलित नव वर्ष २०२३ की, बहुत बहुत शुभकामनाएं !जय श्री कृष्ण जी ! जय भारत ! जय भारती !!
हम भी chote है, पर dosto के hoslo से हम भी उड़ने का jazba महसूस करते है
ReplyDeleteएक फूंक तुम्हारी भी बहुत दूर ले आई है दोस्त !
Deleteऐसे ही फूंक मार दिया करो ...
बहुत सुंदर! ऊँची परवाज़ का जज़्बा ही दूर गगन में ले जाता है
ReplyDeleteआदरणीया अनीता जी ! नमस्कार !
Deleteआपको व स्नेहीजनो को ,नव आंग्ल/प्रचलित नव वर्ष २०२३ की, बहुत बहुत शुभकामनाएं !
जय श्री कृष्ण जी ! जय भारत ! जय भारती !!