दिल है .... तो दुखता है ,
कम्बख्त रोता भी है !
रिश्ते है ना क्या करे .... ?कम्बख्त रोता भी है !
रिश्तों में ऐसा होता ही है !!
फिर मै ही ! बार-बार !!
मुश्किल है...
दर्जा ,
ज़रूरी नहीं ,पास होता ही है !!
ज़रूरी नहीं ,पास होता ही है !!
करनी है कोशिश !
तो फिर कर ही लीजिये...
तो फिर कर ही लीजिये...
ना करे... तो कुछ कम ,
कुछ अफसोस तो ... फिर भी होता ही है !!
कुछ अफसोस तो ... फिर भी होता ही है !!
लाख होकर भी
आप, उनके,
अपने ....तो हो ना पाएंगे !
अपने ....तो हो ना पाएंगे !
समझा के देख लिया ,
ये बेसबर.... बेक़रार होता ही है !!
ये बेसबर.... बेक़रार होता ही है !!
ठंडी सड़क है जिंदगी,
लिहाज़ा तपिश भी जरुरी है ,
लिहाज़ा तपिश भी जरुरी है ,
गरमाने मंजर कोई , आसपास
अरमां-ऐ-नामुराद होता ही है !!
जरुरी नहीं , के आप चाहेंगे
और वैसा हो भी पाएगा ...
और वैसा हो भी पाएगा ...
सुलह ...रोज नहीं होती यहाँ , खैर
शहर में , फ़साद तो होता ही है !!कुछ कोहरा भी ...
कुछ ठण्ड सी है ,
कुछ ठण्ड सी है ,
बुझी बुझी मगर दिलों में
बासी , बगासी , उमंग भी है ....
पैंतरे बदल रही है सियासत ...
तो मुझको तुझको क्या ?
तो मुझको तुझको क्या ?
बिस्तर बदल बदल उसे तो
कुछ हासिल होता भी है ??
सिवाय खुद के कोई खुद का नहीं होता, वरना हर कोई खुदा नहीं होता
ReplyDeleteआदरणीया अनीता जी !
Deleteरचना के भाव को आपने खूब पकड़ा , अभिनन्दन !
जय श्री कृष्ण !
अपने आप से प्रेम करिए साहब,
ReplyDeleteऔर जिन्दगी का मजा लीजिए,
रिश्ते सिर्फ स्वार्थी होते है,
हमसफर भी, सफर को 'मैं' से 'हम' बनाता है.
सत्य वचन मित्रवर !
Deleteजय श्री कृष्ण !
क्यों प्रेम की परीक्षा दू ... ?
ReplyDeleteफिर मै ही ! बार-बार !!
मुश्किल है... दर्जा ,
ज़रूरी नहीं ,पास होता ही है !!
सही कहा ना चाहकर भी ये सब होता है..
बहुत सुंदर।
आदरणीया सुधा देवरनी जी !
Deleteआभार एवं अभिनन्दन !
जय श्री कृष्ण