Tuesday, December 6, 2022

दिल दियां गल्लां !

 

Rest of the winter in Odisha to see warmer nights, colder days- The New  Indian Express 

 

दिल है .... तो दुखता है ,
कम्बख्त रोता भी है !
रिश्ते है ना क्या करे .... ?
रिश्तों में ऐसा होता ही है !!

क्यों प्रेम की परीक्षा दू ... ?
फिर मै  ही ! बार-बार !!
मुश्किल है... दर्जा ,
ज़रूरी नहीं ,पास होता ही है !!

करनी है कोशिश !
तो फिर कर ही लीजिये...
ना करे... तो कुछ कम ,
कुछ अफसोस तो ... फिर भी होता ही है !!

लाख होकर भी आप, उनके,
अपने ....तो हो ना पाएंगे !
समझा के देख लिया ,
ये बेसबर....  बेक़रार होता ही है !!

ठंडी सड़क है जिंदगी,
लिहाज़ा तपिश भी जरुरी है ,
गरमाने मंजर कोई , आसपास 
अरमां-ऐ-नामुराद होता ही है !!

जरुरी नहीं , के आप चाहेंगे
और वैसा हो भी पाएगा ... 
सुलह ...रोज नहीं होती यहाँ , खैर
शहर में  , फ़साद तो होता ही है !!

कुछ कोहरा भी ...
कुछ ठण्ड सी है ,
बुझी बुझी मगर दिलों में
बासी , बगासी , उमंग भी है ....
पैंतरे बदल रही है सियासत ...
तो मुझको तुझको क्या ?
बिस्तर बदल बदल उसे तो
कुछ हासिल होता भी है ??

 

6 comments:

  1. सिवाय खुद के कोई खुद का नहीं होता, वरना हर कोई खुदा नहीं होता

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    1. आदरणीया अनीता जी !
      रचना के भाव को आपने खूब पकड़ा , अभिनन्दन !
      जय श्री कृष्ण !

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  2. अपने आप से प्रेम करिए साहब,
    और जिन्दगी का मजा लीजिए,
    रिश्ते सिर्फ स्वार्थी होते है,
    हमसफर भी, सफर को 'मैं' से 'हम' बनाता है.

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    1. सत्य वचन मित्रवर !
      जय श्री कृष्ण !

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  3. क्यों प्रेम की परीक्षा दू ... ?
    फिर मै ही ! बार-बार !!
    मुश्किल है... दर्जा ,
    ज़रूरी नहीं ,पास होता ही है !!
    सही कहा ना चाहकर भी ये सब होता है..
    बहुत सुंदर।

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    1. आदरणीया सुधा देवरनी जी !
      आभार एवं अभिनन्दन !
      जय श्री कृष्ण

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