मेरे एक सवाल पर
बौखलाकर
उसने
सौ सवालों के
जवाब ही दे डाले ..
अकेले चने ने
भांड फोड़ा
क्योकि
उसने
ये कहावत
नहीं पढ़ी होगी
उसने
तेवर दिखाए
विरोध के
और
व्यवस्था
बदल गयी
वो
जानता था
एक वोट की कीमत
उसने
विरोध के नाम पर
कभी
आत्महत्या नहीं की
समूह में रहना
शेर की मज़बूरी थी
ये जानकार
हिरनों ने
कभी
अकेले शेर को
नहीं छेड़ा
जंगल
बढ़ता ही गया
उनके विरोध के बाद भी
वो
जो जंगल के नहीं थे
वो भी
जंगली हो गए ...
उस जंगल में
वैसे तो
हर जबान रहती थी
मगर
आपस में बात
सिर्फ
नोटों में होती थी
विविधता में एकता
उस जंगल की
ख़ास बात थी
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