Tuesday, December 27, 2022

कुतस्त्वा कश्मलमिदं ...


 
 एक सार्वभौम प्रासंगिक सन्दर्भ : मधुसूदन उवाच ! (गीता : द्वितीय अध्याय - भाग १ )
 
तब उस 
करुणामूर्ति ने 
करुणापूरित 
अश्रुरत 
नत नयन 
भीत भी 
क्लांत भी 
गांडीव धर चुके 
पस्त हृदय 
अर्जुन के प्रति 
यो कहा 
जैसे 
युगों से कहा ...
 
मधु मर्दन ने 
हां 
जिसने 
स्वयं की माया से 
उत्पन्न 
मधु को 
कैटभ संग 
मरीचिका के उत्तल पर 
जंघा ही को 
धरा कर 
छिन्न मस्तक 
किया था कभी ...
 
उसने 
हां उसने कहा 
तभी तो 
अब तलक ये 
सन्दर्भ 
सार्वभौम और 
प्रासंगिक रहा 
टिका रहा |

युक्त श्री और समस्त
ऐश्वर्य/वीर्य/स्मृति/यश/ज्ञान
से
वही श्री भगवान् स्वयं ,
पूछते विस्मय का स्वांग भर  ...

हे अर्जुन !
क्यों माननीयों के द्वारा
निर्णित समर समवेत में ,
प्रश्न पूछते हो अग्य-मूढ़ से  ?

तुम्हारे शोक-पीड़ा-संवेदना में
झलक रही बस
कातरता ,
पौरुषहीन-दीनता ही मुझे  !

तुम्हारा पलायन
न इस लोक में यश देगा ,
ना परलोक में सुख ही कभी !

कायरता और शोक ,
रणभूमि में वर्जित सदा !
त्याग कर तुच्छ
हृदय की  दुर्बलता ,
धर गांडीव खड़ा हो पार्थ !!

प्रत्युत्तर को 
प्रस्तुत अधर्म के
सन्नद्ध हो !!!
वर-वीर अहो ! सेनानी !!
इन शस्त्रों के निमित्त ही ?
इस घड़ी ही की आयोजना में ??
तो तप-रत रहा न तू अभिमानी ???




source : Bhagwad Geeta , chtr-2, ver -1

सञ्जय उवाच॥

तं तथा कृपयाविष्टमश्रुपूर्णाकुलेक्षणम् ।
विषीदन्तमिदं वाक्यमुवाच मधुसूदनः ॥२-१॥ .....

तब करुणापूरित वयाकुल नेत्रों वाले शोकयुक्त अर्जुन से मधु का वध करने वाले श्री भगवान ने ये वचन कहे 
 Sanjay says – Then, the destroyer of Madhu, Sri Krishna said to compassionate and sorrowful Arjun, who was anxious with tears in his eyes-॥1॥

गीता द्वितीय अध्याय श्लोक – २

श्रीभगवानुवाच कुतस्त्वा कश्मलमिदं विषमे समुपस्थितम्‌।
अनार्यजुष्टमस्वर्ग्यम्‌ कीर्तिकरमर्जुन॥२-२॥

-: हिंदी भावार्थ :-

श्रीभगवान बोले- हे अर्जुन! तुम्हें इस असमय में यह शोक किस प्रकार हो रहा है? क्योंकि न यह श्रेष्ठ पुरुषों द्वारा आचरित है, न स्वर्ग देने वाला है और न यश देने वाला ही है॥2॥

Lord Krishna says – O Arjun! How can you get sad at this inappropriate time? This sadness is not observed in nobles, it also does not lead to either heaven or glory.॥2॥

गीता द्वितीय अध्याय श्लोक – ३

क्लैब्यं मा स्म गमः पार्थ नैतत्त्वय्युपपद्यते।
क्षुद्रं हृदयदौर्बल्यं त्यक्त्वोत्तिष्ठ परन्तप॥२-३॥

-: हिंदी भावार्थ :-

हे पृथा-पुत्र! कायरता को मत प्राप्त हो, यह तुम्हें शोभा नहीं देती है। हे शत्रु-तापन! हृदय की तुच्छ दुर्बलता को त्याग कर(युद्ध के लिए) खड़े हो जाओ॥3॥

O son of Prutha! Do not yield to weakness, it is not apt for you. O tormentor of foes! Cast aside this small weakness of heart and arise(for battle).॥3॥

Wednesday, December 7, 2022

दीया और तूफ़ान

Rural Girl And Boy Studying In Lantern Stock Photo - Download Image Now -  Poverty, Child, Education - iStock

बाहर ..

अंधेरों में 

तूफ़ान चल रहा था कोई | 

....

 भीतर ..

 दीये के 

सूरज पल रहे थे कई ||

Tuesday, December 6, 2022

दिल दियां गल्लां !

 

Rest of the winter in Odisha to see warmer nights, colder days- The New  Indian Express 

 

दिल है .... तो दुखता है ,
कम्बख्त रोता भी है !
रिश्ते है ना क्या करे .... ?
रिश्तों में ऐसा होता ही है !!

क्यों प्रेम की परीक्षा दू ... ?
फिर मै  ही ! बार-बार !!
मुश्किल है... दर्जा ,
ज़रूरी नहीं ,पास होता ही है !!

करनी है कोशिश !
तो फिर कर ही लीजिये...
ना करे... तो कुछ कम ,
कुछ अफसोस तो ... फिर भी होता ही है !!

लाख होकर भी आप, उनके,
अपने ....तो हो ना पाएंगे !
समझा के देख लिया ,
ये बेसबर....  बेक़रार होता ही है !!

ठंडी सड़क है जिंदगी,
लिहाज़ा तपिश भी जरुरी है ,
गरमाने मंजर कोई , आसपास 
अरमां-ऐ-नामुराद होता ही है !!

जरुरी नहीं , के आप चाहेंगे
और वैसा हो भी पाएगा ... 
सुलह ...रोज नहीं होती यहाँ , खैर
शहर में  , फ़साद तो होता ही है !!

कुछ कोहरा भी ...
कुछ ठण्ड सी है ,
बुझी बुझी मगर दिलों में
बासी , बगासी , उमंग भी है ....
पैंतरे बदल रही है सियासत ...
तो मुझको तुझको क्या ?
बिस्तर बदल बदल उसे तो
कुछ हासिल होता भी है ??

 

Thursday, December 1, 2022

बाबू ! सब्बै मीडिआ बिकाऊ ना बा ...

 

Image
 
ससुर  इहा हर खबर बिकात बा  ,
अउ जो बिकात बा 
सोइ ना छपात बा !
कहत हई के मीडिया बिकात बा ?

अरे भाई हर खबर
अब जरुरी तो नहीं होती ,
खबर छुपाना....
खबरे बनाना ...
सरकारी काम है देखो ,
ना ! मजबूरी कतई नहीं होती !!

अरे भाई साहब !
भाई से ऊपर भी कई ,
साहब पे साहेब
फिर सबसे बड़े जो
साहेब है ना...
हां ! हां !! जी !  जी !! वही -वही
ठीक समझे आप..
तो साहब जो लिख दिए
समझो अध्यादेश हो गया
उनका पार्टी-कार्यालय
और आँगन समझो देश हो गया

तो हम तो देश ही की
खबर बजाते है ,
जो जूठन सरकार
गिरा देते है
बस वही खाते है
लोगों का क्या है
यु ही बतियाते है

आप तो देखो
कितने समझदार है ,
क्यों इनकी बातों में आते है
आइये आपकी
कमाई कहा गवाना ..... मतलब
कहा लगाना है
हम बताते है

आपका अपना "मीडिया" , जो बिकाऊ तो कतई नहीं है

Wednesday, November 16, 2022

आ-कल-जल !

 

What My 83-Year-Old Great Grandma Taught Me About The Meaning of Life —  OMAR ITANI 

 

शब्दों के गुंजन में ,
अर्थों की ध्वनि नहीं थी ,
नितांत भावपूर्ण-अनर्थता थी !
यथार्थ के धरातल ,
चौरस-समतल नहीं थे ,
छंदहीन-समरसता थी वहां !

ज्ञान के आडम्बर से शून्य ,
अनुभवों का सहज आकाश ,
कथाओं के अलोक से जगमगाता ,
आलिंगन ले लोरियाँ सुनाता रहा ,
जगाता सुलाता रहा रातभर ,

वो रात की चाँदनी
और ये भोर की रश्मियाँ
मुझे क्यों सब एक से लगे ...
खैर दिन चढ़ आया है
फिर काम पर भी तो जाना है !

सच !
यही तो है जिंदगी...
उलझी उलझी मगर
निपट, सरल , सुलझी भी ...

 

Monday, November 14, 2022

भगत नहीं छपा करते नोटों पर


मैं एक मानव हूं और जो कुछ भी मानवता को प्रभावित करता है उससे मुझे मतलब है.
-भगत सिंह

भगत नहीं छपा करते नोटों पर 
भगत नहीं बिकते बाजारों में 
भगत की बोली नहीं लगती 
भगत विचारों ही से हिला देते है 
भगत जब बोलते है सब सुनते है 
भगत मिट कर भी खामोश नहीं होते 
भगत बदलते नहीं बदल देते है 
भगत होने के लिए सिर्फ कलेजा चाहिए 
भगत जिंदाबाद सुनने तक नहीं जीते 
भगत के लिए कोई क्या करेगा 
भगत का कर्ज चुकाना मुमकिन नहीं 
भगत का भूल जाना मुमकिन है 
भगत को भुला पाना मुमकिन नहीं 
भगत ने बनाया जिस हिन्दोस्तां को 
भगत को वहा मिटा पाना मुमकिन नहीं 

भगत सिंह अंग्रेजो के न्यायप्रियता के मुखौटे को नोच फेकने वाले शेर का वो पंजा था जिसने एक ही वार से कभी ना डूबने वाला फिरंगी गुमान को जमीं पे दे मारा था जिसकी गूंज  डिबिया जैसा सिकुड़ा ब्रितानी समाज आज भी सुनता है । 

Thursday, September 22, 2022

शिकायतें मगरूर है मगर ...

Pahimakas - Being a giver taught me that it's okay to feel bad for others  and not help them in a way they needed. It's okay to look stern, arrogant,  and ungrateful 
 
पूछो ना क्या याद रहा , क्या मैंने भुला दिया |
उसका फिर याद आना , फिर मैंने भुला दिया ||

पलट पलट के किताबे-अतीत थक गया था मै |
जागता रहा रात भर मगर तुझको सुला दिया ||

आहिस्ते से बात कर , सुन धड़क रहा है दिल |
अभी चुप किया था मैंने , फिर तूने रुला दिया ||

शिकन ये चादरों पर, ये शिकन तन्हाइयों की है |
लम्हा है कटता नहीं यहाँ, तूने किस्सा बना दिया ||

इस हाल यार मुलाक़ात तो फिलहाल क्या होगी |
मसरूफ़े तंगहाल को मग़रूर तुम्ही ने बना दिया || 
 
कुछ लिखू मै ये ख्वाहिश तो कई दिनों से थी मगर |
मेरी मेज को जरूरतों ने जाने कब दफ्तर बना दिया ||

खैर शिकायतों की ये किश्त तो बस आखरी है दोस्त |
सबबे-बेसब को सबब जीने का नज़रिया दिला दिया ||