तुम
टीवी पर
ख़बरों में
खुद को पाओगे
खून से सना
नंगी होंगी
भूख
हवस
और
उसके बीच
बेबस
तुम
क्या तब भी
सोचोगे
इधर जाऊ
या
उधर ?
चुन लेना
अपना पक्ष
ताकत
और
खुले शब्दों में
वरना
मारे जाओगे
अप्रत्यक्ष चयन की
मृग मरीचिका में
आज कौन
अपने घर पर
कमा
खा
रहा है
फिर कौन
कहा से
इतनी संख्या में
मतदान को
आ रहा है ?
एक तो
संविधान सुन्न है
उसपर
चुनाव प्रक्रिया पर
आस्था का
संकट
गहरा रहा है |
रक्त रंजीत
क्रान्ति का
अध्याय
लिखा जा रहा है
मंचन का
मंथन का
मुहूर्त
निकट आ रहा है |
कसम खाओ
तब तक
बटन नहीं दबाओगे
जब तक
"किसी को वोट नहीं "
और
"मेरा वोट वापस दो"
का अधिकार
नहीं पाओगे |
ज़बरदस्त!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया ...
ReplyDeleteमेरा वोट वापस दो"
ReplyDeleteexcellent
Your thoughts can wake up people but those 121 crore people dont have access to your thoughts.
Do something.
try to put revelent titles to almost all your post like in this post title can be मेरा वोट वापस दो"
ReplyDeletePlease read revelent as relevent.
ReplyDeleteचर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 19 - 04 - 2011
ReplyDeleteको ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
http://charchamanch.blogspot.com/
Naye vichaar mile. Bahut dino se kulbula raha hai yeh vishay. Vichar sthir hue fir kahoonga apni baat. Par sirf Vote tak kyon simat gayi hai Rajniti aur Jamhooriyat? Vote Adhikaar hai par vote se darta kaun hai ? Ise hathiyaar bana lenge jab tab shayad.
ReplyDeleteकसम खाओ
ReplyDeleteतब तक
बटन नहीं दबाओगे
जब तक
"किसी को वोट नहीं "
और
"मेरा वोट वापस दो"
का अधिकार
नहीं पाओगे.
बढ़िया विचार पेश किया है.हर वर्ष रेफरेंडम होना चाहिए.
'मेरा वोट वापस दो '
ReplyDeleteसशक्त रचना ....
सार्थक अपील !
ReplyDeleteसशक्त सार्थक रचना ....
ReplyDeleteबहुत बढ़िया ...