वो रोज अनशन करता है
फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है | शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है || Tarun Kumar Thakur,Indore (M P) "मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"
Friday, September 16, 2022
वो रोज अनशन करता है
वो रोज अनशन करता है
Sunday, August 7, 2022
भटकने लगे है लोग
एक गरम साँस
होठों के आगे ,
कानों के पीछे
एक ठंडी फूंक की ख़ातिर
बिकने लगे है लोग
अपने ही
अगणित
आसमानों की
आदिम फ़िराक में
चलने या उठने भर से
बहुत पहले ही
Friday, March 19, 2021
उफ़्फ़ ये बेहया बेलग़ाम आँकड़े !
मंत्री जी
हद ही पार कर दी है
फड़कता हुआ !!
अच्छा सा ???
अध्यादेश निकलवाईये ...
रखनी होगी !!
आंकड़ों की
Sunday, February 28, 2021
हर हर !! महाशिव हरे हरे !!!
नहीं जानता
मैं
समय की
सीमाएँ
समय जानता है
सबकुछ
तय करता
बदलता
सबकी / सारी / सांझी
परिसीमाएँ
बदल बदल
बहुत बदल सको
तो भी बस
बदल सकोगे
कालांतर
युग बदल गये होंगे
लव निमेष ही में
नव सृष्टि
गढ़ेगा महाकाल
ईति शेष बचेंगे
रूपांतर
क्या उदित
अनुदित
अपघटित हो
रहे विदित
वेदना के पल-छिन
हो रहे भंग
सब शिलाखंड
एक सृष्टि भ्रंश
सौ ब्रह्मांड प्रकट
विकट-निकट
वह डमरू नाद
हरता विषाद
सब पाप ताप
कर भस्म
करे जो लेप
वही निर्लेप
करे संक्षेप
सदाशिव हरे हरे !!
हर हर !! महाशिव हरे हरे !!!
बम बम ....
Thursday, February 11, 2021
बड़े वो है ..... मुहलगे !
हमारे वो ...
वैसे तो
कुच्छ नहीं
हमारे सामने |
कुच्छ कहती नही हूँ
उनको
इसलिए कि
वो है
नेता जी के
बड़े ही
मुहलगे ||
आग मूत रक्खी है
मोहल्ले में
समझाती नहीं हूँ ...
जाने दो जीजी
कौन
ऐसो के
मूह लगे !!
Wednesday, August 26, 2020
ये राहें तरक्की औ वो रोड़े क़यामत
सड़क
जो काटती थी
हर तरह
हर तरफ
दिन रात
पहाड़ ही की
एक दिन