Sunday, April 23, 2023

जिसने रचा विश्व

 


जिसने रचा विश्व,
ब्रह्माण्ड, धरा ,गगन,
जल, अग्नि सहित समीर | 

गहन वारिध को बांध, 
तपा, वर्षाता, 
बही: गतिमान, 
अंत: स्थिर || 

तेज
तमोगुण से
आच्छादित, 
रजोमयी,
मायाडम्बर वस्त्र धरे अनुपम | 
लिंग , जाती , धर्म ,
विविध का रचनाकर 
स्वयंभू अम्ब हे !
पुरुषोत्तम || 

तू ही अक्षर,
मात्रा,सब छंद
तुम्ही
तुझको लिखता
मन पाती बन
करुणाकर !

आशीष बनो
जगदीश !
हो कर कमल,
कागद मै बनु ,
मसि बनो तुम
गुणसागर !



Saturday, April 22, 2023

अंतर की आहटें

 
खोदते रहे
सुरंगे
निचोड़ते रहे
धरती की
तलहटी

उन्हें
जिंदगी
अब 
बड़ी
खोखली सी
लगती है ... !?!

 

#exploitation_of_natural_resources

#greed 

Friday, April 21, 2023

अक्षत




अक्षत 
कुछ पुष्प 
और 
अक्षत के 
दानो से 
रीझ जाते है 
देवों के अराध्य 
ऐसा 
क्या है 
कि अक्षत के 
आधे ही 
दाने से 
तृप्त 
हो जाती है
वसुंधरा 
और 
सुदामा को 
मिल जाता है
अतुल्य वैभव 
निश्चय ही 
निश्छल 
भाव ही 
होता है 
अक्षय 
और 
स्वीकृत 
उन चरणों को  
जिन्हें 
मां लक्ष्मी 
सराहती है | 
सभी सह्रदय भगवद भक्तों को अक्षय तृतीया की पुन्य वेला पर अक्षय शुभकामनाये |

ॐ श्री लक्ष्मी नारायणाय नम: |


कर-कमल !


बहुत भोले हो !
ईतना भी नहीं जानते...
सरकारें !
"नोट" पर चलती है
"वोट" तो बहाना है

आलीशान कोठियों 
के गिर्द
पसरे ,अनचाहे कोटि 
कोटि फटीचरो से
किसी तरह निभाना है !

संसद,
संविधान,
चुनाव,
सब जरुरी है...
दिखावे
और
आड़ के लिए !

तुम भी
एकबार
ईस तरफ
जो आ पाओ
जान जाओगे
"जन्नत की हकीकत" प्यारे !

"लोकतंत्र" का 
डियर!
ईतना सा फ़साना है
ईस "हाथ" 
जाना है
उस "हाथ" को
आना है  ...  




Sunday, April 16, 2023

आज फिर सपना देखा



आज फिर 
सपना देखा ...

मज़हब से आतंक 
राजनीति से अपराध 
व्यापार से कालाधन 
दफ्तरों से भ्रष्टाचार 
अंचलों से बेरोजगारी 
शहरों से गरीबी 
गलियों से गुंडे 
सरकार से झूठ ...
समाप्त हो गए !?!

आज फिर 
आँख खुल गयी ...

जो देखा 
वो तो सपना था 
जीवन और यथार्थ में 
कोई सपना 
जी नहीं सकता 
कोई प्यासा 
नींद में
पानी पी नहीं सकता ...

आओ 
जागे और जगाए !
सोई चेतना को,
उपेक्षित गौरव को ...

कोई !
गीता में 
शंखनाद कर 
कह रहा है ...

पुण्यवान हो ! पुण्यवान हो !!
तभी तो 
जन्मे हो 
मनुष्य होकर ...

सहस्र कोटि 
ब्रह्मांडो में 
पंगु विज्ञान 
आज तक तो 
ढूंढ़ नहीं पाया 
दूसरा मनुष्य ?

तुम क्यों ..
उसके तर्क पर !
बेसुध हुवे ,
नकारते हो ,
स्वप्रमाणित ,
सर्वज्ञ आप्लावित ,
ईश्वर को... ?

ठहरो ज़रा ..
सोचो ज़रा ...
समझो तो ज़रा  !!!


Thursday, April 13, 2023

सरस्वती के भक्तों के लिए वेद वाणी के ये अद्भुत सूत्र


~~~~~
||1||

ॐ  विद्या ददाति विनयं विनयाद्याति पात्रताम् ।

पात्रत्वाद्धनमाप्नोति धनाद्धर्मं ततः सुखम् ॥ १ ॥ 


विद्या से विनय प्राप्त होती है : कितना सुन्दर सूत्र है , आज विद्यार्थियों को अनेक परीक्षाओं और साक्षात्कार से गुजरना पड़ता है परन्तु फिर भी वे किसी संतोषप्रद पद को नहीं पा कर क्लेश ही पाते है । कितना ही अच्छा हो कि  इस  विनय की परीक्षा को लक्ष्य कर और इसी को आधार बना कर यदि लोकसेवकों और विद्वज्ञ पदो को सृजित किया जाऐ । विनय की तैयारी , अभ्यास , प्रशिक्षण और उपलब्धि ही शिक्षा का मूल हो फिर कोई भी कार्य हम करे वही सृजन और आनंद का साधन बन जाएगा , क्लेश मुक्त निर्मल आनंद यही तो जीवन की अभीष्ट प्रायोजना है । बाकी शेष चारो पुरुषार्थों की उपलब्धि फिर सहज ही हो जायेगी । ॐ 


~~~~~~
||2||

यां मेधां देवगणाः पितरश्चोपासते । तया मामद्य मेधयाग्ने मेधाविनं कुरु ॥२॥

जिस प्रकृति की मेधा (प्रचलित अर्थ है बुद्धि ) की उपासना अथवा सत्कार हमारे पूर्वज (देशकाल अनुसार / स्मृति अनुसार ) और देवता (हमारे भीतर की आवाज जो तत्व निर्णय करने का अंतिम मानदंड है ) करते है  , कृपा कर उसी उत्तम मेधा से हमें संयुक्त / हम को उपलब्ध कीजिये । 
परम्परा के साक्ष्य और उसकी अनुपलब्धता अथवा उससे भी उत्तम चयन अपनी समझ के आधार पर जिस समझ और प्रकृति / संस्कृति / विद्या /ज्ञान / धर्म / आस्था  को हम यथेष्ठ और उत्तम मानते है उसी के अनुसार अपनी मति के परिमार्जन / सृजन हेतु माँ सरस्वती और श्री गुरु चरण में निवेदन करे । 


~~~~~~
||3||

ॐ असतो मा सद्गमय। तमसो मा ज्योतिर्गमय। मृत्योर्माऽमृतं गमय।
ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति: ॥ 

कौन सी विद्या और किस हेतु विद्या ? इसका अंतिम उत्तर यहाँ है जो "सत्य" के पथ पर अग्रसर रखे , "प्रकाश" अर्थात यथार्थ पर केंद्रित रखे और शाश्वत "तत्व" की उपलब्धि करावे जिसे श्री कृष्ण "आत्मा" कहते है और जिसका नाश कभी नहीं होता । 

यह उपरोक्त तो व्यक्तिगत उपलब्धि और स्वार्थपरक चर्चा लगती है परन्तु जीव और जगत से भी पर समस्त सृष्टि के लिए भी कहा गया है 


~~~~~~
||4||

ॐ सह नाववतु | सह नौ भुनक्तु | सहवीर्यं करवावहै | तेजस्विनावधीतमस्तु | मा विद्विषावहै ||
ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति: ||

हम साथ साथ आये , साथ ही पुष्ट / तुष्ट हो और साथ मिलकर श्रेष्ठ पुरुषार्थ करते हुवे उत्तम तेज़ को उपलब्ध हो हम में कोई द्वेष/विषमता ना शेष रहे ॐ  शांति ॥ 




अंत में माँ वीणावादनी के चरणो में सबके लिए सादर विनय 
~~~~~~

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया। सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत्।। 

सभी सुखी होवें, सभी रोगमुक्त रहें, सभी मंगलमय घटनाओं के साक्षी बनें और किसी को भी दुःख का भागी न बनना पड़े।





ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति: ||

Saturday, April 8, 2023

मानव का ईतिहास



मानव का ईतिहास !

मानवता के 
ह्रास का भी / दस्तावेज है ?

इसे
झूठ के पुलिंदो
और
अनगिनत 
लाशों से...

छुपा दिया गया है !
करोड़ो शब्दों की
सुखी घास के पीछे ...

जो 
सुलग उठती है
सच 
और 
साहस के
एक झौके से ...

जो
पैदा होता है
भूख 
और 
युद्ध की कोख से ?

जिसमे 
जल जाते है
काले पड़ जाते है...

कई चहरे
जो पूजे जाते थे
जलसा घरों से
न्यायालयों तक ... ?

अगर 
सच ही पढ़ना है
तो कहानी 
या कविता पढ़ना ...

वरना 
वक्त बिताने के लिए,
ईतिहास 
अच्छी चीज है !



#मानव_का_ईतिहास
#historymankind