joshimath is sinking down , our fair Modi ! |
ढह रहा है प्यारे मोदी !
जिससे बिजली ,
जिसका पानी ,
खूब खींची ,
खूब सींचा , देश ने ?
तुमने ... मित्रों ने भी !
आज वोही
बूढ़ा ... शंकर कह रहा है
जोशीमठ दरक रहा है ,
ढह रहा है प्यारे मोदी !
बनाया ,
जिद करके जो
खंड उत्तर ,
खंड उत्तर ,
बह रहा है ...
बेअसुल
मुनाफा वसूल
विकास की
अंधी धार में
प्यारा , न्यारा ...
भोला बद्री !
भोला बद्री !
कराहता कर्णप्रयाग !
कह रहा ...
बचा सको.. गर
बचालो ...
बचा सको.. गर
बचालो ...
होते ,देखते , तुम्हारे
जोशीमठ डूब रहा है ,
ढह रहा है प्यारे मोदी
!
बचा सको जिनको ,
उतनो को तो
बचा लो !
बचा लो !
चौबीस का शंख
बज चुका
अब
कुर्सी ही मत सम्हालो
!
गरीब , गुरबा सब
कह रहा है
मत करना निराश ,
मत करना निराश ,
वक्त है,
सम्हलो नहीं
सम्हलो नहीं
सम्हाल लो ... !
जोशीमठ धंस रहा है ,
ढह रहा है प्यारे
मोदी
!
सही कहा आपने
ReplyDeleteजय श्री कृष्ण जी !
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