उनके
कारखानों में
बसों , ट्रकों ,ट्रेनों
और चौराहों तक देखो
अबके चूक मत जाना
यह चुनाव ,
तुम्हे / उन्हें
हस्ताक्षर का फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है | शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है || Tarun Kumar Thakur,Indore (M P) "मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"
वाह! लोकतंत्र की प्रक्रिया में चुनाव में भाग लेना जैसे इसके मंदिर में दिया जलाना है, इसमें हरेक को भाग लेना ही होगा
ReplyDeleteआदरणीया अनीता जी ! वन्दे मातरम !
Deleteआपको बसंत पर्व एवं गणोत्सव की हार्दिक शुभकामनाए !
जय हिन्द ! जय श्री कृष्ण जी !