फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है |
शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है ||
Tarun Kumar Thakur,Indore (M P)
"मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"
Saturday, January 14, 2023
अब तो उत्तरायण हो भाग्य मेरे !
ले एक और
उत्तरायण हो गयी
सूर्य देवता
फिर
पूरब से निकले
फिर अस्त हुए पश्चिम में
एक चक्कर
लगा आये वो
उत्तर से
दक्षिण का
फिर एक बार
खत्म हुआ
देव शयन भी तो कब का ...
हे भाग्य देव !
तुम क्यों ,
करवट नहीं लेते ,
आँखे तो खोलो ,
देखो तो जरा ...
कोई बैठा चरणों में
इंतजार में
मुरझा रहा है ...
ख़त्म कीजिये
विरह के
अंतहीन
इस अंतराल को
तृप्त कीजिए
सुख की वर्षा से
हो आस हरी
यही इच्छा है प्रभु चरणों में !
दास की खरी खरी !
शुभ संक्रांति हो मेरी ,आपकी और सबकी शेष जो इच्छा उसकी ...
आदरणीया संगीता स्वरुप जी ! प्रणाम ! रचना को आशीर्वाद देने के लिए आपका बहुत बहुत आभार ! प्रतिक्रया में विलम्ब हेतु क्षमा चाहूंगा ! आपको व समस्त "पांच लिंको का आनन्द " मंच को मकर सक्रांति एवं उत्तरायण की हार्दिक शुभकामनाएँ ! जय श्री राम ! ईश्वर आपके प्रयास क पूर्णता एवं श्रेष्ठता प्रदान करे , शुभकामनाएं !
आदरणीया जिज्ञासा सिंह जी ! आपके आशीर्वाद के लिए बहुत बहुत आभार ! आपको भी संक्रांति महापर्व की बहुत बहुत शुभकामनाएं ! विलम्ब से प्रतिक्रिया हेतु क्षमा प्रार्थना सहित जय श्री कृष्ण जी !
आदरणीया अनीता जी ! आपको बहुत बहुत साधुवाद एवं संक्रांति महापर्व की बहुत बहुत शुभकामनाएं ! डायरियों में कुछ पन्ने उदासी के भी होते ही है , वैसे मेरा मत है "कर्म"(क्रियमाण) से "भाग्य "(प्रारब्ध) का और वैसे ही उलट भी , चक्र चलता रहता है ! यही तो है परमात्मा का , सुदर्शन चक्र ! विलम्ब से प्रतिक्रिया हेतु क्षमा प्रार्थना सहित जय श्री कृष्ण जी !
आदरणीया सुधा देवरनी जी ! धन्यवाद ! आपको भी संक्रांति महापर्व की बहुत बहुत शुभकामनाएं ! विलम्ब से प्रतिक्रिया हेतु क्षमा प्रार्थना सहित जय श्री कृष्ण जी !
आदरणीया श्वेता सिन्हा जी ! बहुत उचित आपकी यह सलाह सर माथे , बहुत आभार ! संक्रांति महापर्व की बहुत बहुत शुभकामनाएं ! विलम्ब से प्रतिक्रिया हेतु क्षमा प्रार्थना सहित जय श्री कृष्ण जी !
ख़त्म कीजिये विरह के अंतहीन इस अंतराल को तृप्त कीजिए सुख की वर्षा से हो आस हरी यही इच्छा है प्रभु चरणों में ! दास की खरी खरी...बहुत सुंदरता से पीरोए हैं आपने मन के भावों को। बधाई एवं शुभकामनाएँ।
आदरणीया अनीता सैनी जी ! कविता के भाव को प्रतिसाद देने के लिए बहुत बहुत आभार ! आपको सपरिवार संक्रांति महापर्व की बहुत बहुत शुभकामनाएं ! विलम्ब से प्रतिक्रिया हेतु क्षमा प्रार्थना सहित जय श्री कृष्ण जी !
संक्रांति महापर्व पर विश्व रचियता को मधुर उद्बबोधन तरुण जी।सच में वड़ी अलग सी रचना है। सुन्दर और भावपूर्ण अभिव्यक्ति पके लिये आभार और बधाई स्वीकार करें 🙏
आपकी लिखी रचना सोमवार 16 जनवरी 2023 को
ReplyDeleteपांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
संगीता स्वरूप
आदरणीया संगीता स्वरुप जी ! प्रणाम !
Deleteरचना को आशीर्वाद देने के लिए आपका बहुत बहुत आभार !
प्रतिक्रया में विलम्ब हेतु क्षमा चाहूंगा !
आपको व समस्त "पांच लिंको का आनन्द " मंच को मकर सक्रांति एवं उत्तरायण की हार्दिक शुभकामनाएँ !
जय श्री राम !
ईश्वर आपके प्रयास क पूर्णता एवं श्रेष्ठता प्रदान करे , शुभकामनाएं !
मन के भावों को बड़ी खूबसूरती से पर्व से जोड़ा है, सुंदर सृजन ।
ReplyDeleteमकर संक्रांति पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई।
आदरणीया जिज्ञासा सिंह जी !
Deleteआपके आशीर्वाद के लिए बहुत बहुत आभार !
आपको भी संक्रांति महापर्व की बहुत बहुत शुभकामनाएं !
विलम्ब से प्रतिक्रिया हेतु क्षमा प्रार्थना सहित
जय श्री कृष्ण जी !
भाग्य की प्रतीक्षा भगवान के भक्त कबसे करने लगे !
ReplyDeleteआदरणीया अनीता जी !
Deleteआपको बहुत बहुत साधुवाद एवं संक्रांति महापर्व की बहुत बहुत शुभकामनाएं !
डायरियों में कुछ पन्ने उदासी के भी होते ही है , वैसे मेरा मत है "कर्म"(क्रियमाण) से "भाग्य "(प्रारब्ध) का और वैसे ही उलट भी , चक्र चलता रहता है !
यही तो है परमात्मा का , सुदर्शन चक्र !
विलम्ब से प्रतिक्रिया हेतु क्षमा प्रार्थना सहित
जय श्री कृष्ण जी !
सही है
Deleteउत्तरायण में भाग्य भी। जरूर करवट लेगा ।मकर संक्रांति की अनंत शुभकामनाएं ।
ReplyDeleteआदरणीया सुधा देवरनी जी !
Deleteधन्यवाद !
आपको भी संक्रांति महापर्व की बहुत बहुत शुभकामनाएं !
विलम्ब से प्रतिक्रिया हेतु क्षमा प्रार्थना सहित
जय श्री कृष्ण जी !
भाग्य उत्तरायण हो इसके लिए आवश्यक है दृष्टिकोण उत्तरायण हो फिर तो जीवन का हर कोण उत्तरायण प्रतीत होगा।
ReplyDeleteबहुत अलग सी सुंदर रचना।
सादर।
आदरणीया श्वेता सिन्हा जी !
Deleteबहुत उचित आपकी यह सलाह सर माथे , बहुत आभार !
संक्रांति महापर्व की बहुत बहुत शुभकामनाएं !
विलम्ब से प्रतिक्रिया हेतु क्षमा प्रार्थना सहित
जय श्री कृष्ण जी !
ख़त्म कीजिये
ReplyDeleteविरह के
अंतहीन
इस अंतराल को
तृप्त कीजिए
सुख की वर्षा से
हो आस हरी
यही इच्छा है प्रभु चरणों में !
दास की खरी खरी...बहुत सुंदरता से पीरोए हैं आपने मन के भावों को।
बधाई एवं शुभकामनाएँ।
आदरणीया अनीता सैनी जी !
Deleteकविता के भाव को प्रतिसाद देने के लिए बहुत बहुत आभार !
आपको सपरिवार संक्रांति महापर्व की बहुत बहुत शुभकामनाएं !
विलम्ब से प्रतिक्रिया हेतु क्षमा प्रार्थना सहित
जय श्री कृष्ण जी !
संक्रांति महापर्व पर विश्व रचियता को मधुर उद्बबोधन तरुण जी।सच में वड़ी अलग सी रचना है। सुन्दर और भावपूर्ण अभिव्यक्ति पके लिये आभार और बधाई स्वीकार करें 🙏
ReplyDeleteआदरणीया !
Deleteरचना को आशीर्वाद देने के लिए आपका बहुत बहुत आभार !
प्रतिक्रया में विलम्ब हेतु क्षमा चाहूंगा !
उत्तरायण की हार्दिक शुभकामनाएँ !
जय श्री राम !