Saturday, January 14, 2023

अब तो उत्तरायण हो भाग्य मेरे !

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ले एक और
उत्तरायण हो गयी
सूर्य देवता
फिर
पूरब से निकले
फिर
अस्त हुए पश्चिम में

एक चक्कर
लगा आये वो
उत्तर से
दक्षिण का
फिर एक बार

खत्म हुआ
देव शयन भी तो कब का ...

हे भाग्य देव !
तुम क्यों ,
करवट नहीं लेते ,
आँखे तो खोलो ,
देखो तो जरा ...

कोई बैठा चरणों में
इंतजार में
मुरझा  रहा है ...

ख़त्म कीजिये
विरह के
अंतहीन
इस अंतराल को
तृप्त कीजिए
सुख की वर्षा से
हो आस हरी
यही इच्छा है प्रभु चरणों में !
दास की खरी खरी !

शुभ संक्रांति हो
मेरी ,आपकी और सबकी
शेष जो इच्छा उसकी ...


जय हो श्री हरि ! हरि  !!

 

15 comments:

  1. आपकी लिखी रचना सोमवार 16 जनवरी 2023 को
    पांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    संगीता स्वरूप

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    1. आदरणीया संगीता स्वरुप जी ! प्रणाम !
      रचना को आशीर्वाद देने के लिए आपका बहुत बहुत आभार !
      प्रतिक्रया में विलम्ब हेतु क्षमा चाहूंगा !
      आपको व समस्त "पांच लिंको का आनन्द " मंच को मकर सक्रांति एवं उत्तरायण की हार्दिक शुभकामनाएँ !
      जय श्री राम !
      ईश्वर आपके प्रयास क पूर्णता एवं श्रेष्ठता प्रदान करे , शुभकामनाएं !

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  2. मन के भावों को बड़ी खूबसूरती से पर्व से जोड़ा है, सुंदर सृजन ।
    मकर संक्रांति पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई।

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    1. आदरणीया जिज्ञासा सिंह जी !
      आपके आशीर्वाद के लिए बहुत बहुत आभार !
      आपको भी संक्रांति महापर्व की बहुत बहुत शुभकामनाएं !
      विलम्ब से प्रतिक्रिया हेतु क्षमा प्रार्थना सहित
      जय श्री कृष्ण जी !

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  3. भाग्य की प्रतीक्षा भगवान के भक्त कबसे करने लगे !

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    1. आदरणीया अनीता जी !
      आपको बहुत बहुत साधुवाद एवं संक्रांति महापर्व की बहुत बहुत शुभकामनाएं !
      डायरियों में कुछ पन्ने उदासी के भी होते ही है , वैसे मेरा मत है "कर्म"(क्रियमाण) से "भाग्य "(प्रारब्ध) का और वैसे ही उलट भी , चक्र चलता रहता है !
      यही तो है परमात्मा का , सुदर्शन चक्र !
      विलम्ब से प्रतिक्रिया हेतु क्षमा प्रार्थना सहित
      जय श्री कृष्ण जी !

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  4. उत्तरायण में भाग्य भी। जरूर करवट लेगा ।मकर संक्रांति की अनंत शुभकामनाएं ।

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    1. आदरणीया सुधा देवरनी जी !
      धन्यवाद !
      आपको भी संक्रांति महापर्व की बहुत बहुत शुभकामनाएं !
      विलम्ब से प्रतिक्रिया हेतु क्षमा प्रार्थना सहित
      जय श्री कृष्ण जी !

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  5. भाग्य उत्तरायण हो इसके लिए आवश्यक है दृष्टिकोण उत्तरायण हो फिर तो जीवन का हर कोण उत्तरायण प्रतीत होगा।
    बहुत अलग सी सुंदर रचना।
    सादर।

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    1. आदरणीया श्वेता सिन्हा जी !
      बहुत उचित आपकी यह सलाह सर माथे , बहुत आभार !
      संक्रांति महापर्व की बहुत बहुत शुभकामनाएं !
      विलम्ब से प्रतिक्रिया हेतु क्षमा प्रार्थना सहित
      जय श्री कृष्ण जी !

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  6. ख़त्म कीजिये
    विरह के
    अंतहीन
    इस अंतराल को
    तृप्त कीजिए
    सुख की वर्षा से
    हो आस हरी
    यही इच्छा है प्रभु चरणों में !
    दास की खरी खरी...बहुत सुंदरता से पीरोए हैं आपने मन के भावों को।
    बधाई एवं शुभकामनाएँ।

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    1. आदरणीया अनीता सैनी जी !
      कविता के भाव को प्रतिसाद देने के लिए बहुत बहुत आभार !
      आपको सपरिवार संक्रांति महापर्व की बहुत बहुत शुभकामनाएं !
      विलम्ब से प्रतिक्रिया हेतु क्षमा प्रार्थना सहित
      जय श्री कृष्ण जी !

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  7. संक्रांति महापर्व पर विश्व रचियता को मधुर उद्बबोधन तरुण जी।सच में वड़ी अलग सी रचना है। सुन्दर और भावपूर्ण अभिव्यक्ति पके लिये आभार और बधाई स्वीकार करें 🙏

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    Replies
    1. आदरणीया !
      रचना को आशीर्वाद देने के लिए आपका बहुत बहुत आभार !
      प्रतिक्रया में विलम्ब हेतु क्षमा चाहूंगा !
      उत्तरायण की हार्दिक शुभकामनाएँ !
      जय श्री राम !

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