Friday, January 13, 2023

वो पेड़ पतंगों वाला

Anna's Kite


याद है ना
बचपन अपना ,
रोज नई नन्ही
उमंगो वाला !
याद है वो पेड़ ,
पतंगों वाला !

जिस पर
उग आती थी ,
लोहड़ी / सक्रांत पर ,
ढेरो पतंगे ,
सूत , मांझे समेत ! ... फिर
किसी 'सांताक्लॉज़' सा
बांटता रहता था वो ,
उत्तरायण भर
रंग बिरंगी पतंगे

भेद नहीं किया
उस पेड़ ने कभी
काले , गोरे का ,
बिना ऊंच नीच
छुआछूत से पर ,
बांटता गया
पहली से अंतिम तक
पतंग और धागा ...

बांधता गया बचपन
समेटता रहा यादें ...

सर पर उसने ,
अरमानो का
विस्तृत , नीला
आसमान भी
उठा रक्खा था !

क्या पता
रातों को टूटकर
तमाम तारे ही
अटक जाते थे
उसकी सांखो में ...

सुबह पतंग बन
उतर जाते थे
नन्हे हाथों में

फिर नन्हे जादूगर
लग जाते थे
जुगत में
कि फिर एक बार
उड़ा कर
पहुंचा ही देंगे जैसे
उन तारों को
उसी अरमान में !

टूट भी
कट भी जाती थी
कुछ पतंगे
खींचतान में 

तो इत्मीनान था
तारा बन , भोर तक
अटकी रहेंगी ... ऊपर ही
या पेड़ पर कि ,
आसमान में !

Wednesday, January 11, 2023

नरेन्द्र ही बनते है विवेकानंद बिरले !



स्खलित होता ,
कुंठित ,
ढोता अपेक्षाएं,
सहता उपेक्षाए !
प्रवंचना...
 
दू:साहस 
और 
स्वप्न के बीच 
भ्रम को 
ब्रह्म मान
चौराहों पर 
बिकता !
कुचला जाता ?
 
मेरे भारत का 
गौरव बन सको 
तो स्वयं को 
युवा कहना !
वर्ना ...
शहीदी की राह भी 
जवानो ने बना रक्खी है !
 
बस ये ना करना 
कि
रोती माओं 
बिलखती बेवाओं 
को बेसहारा कर 
पलायन कर लो ...
 
गुनाह है...
तरुणाई जो राह भटके !
 
तुम दीप बनना राह के ,
फूल ही बनाना ,
भले धूल बन 
मिट जाना माटी पर !
 
मगर 
भूल ना बनना,
ये भूल ना करना ,
बेशर्मी और नादानी का फर्क 
ही बहुत है ...
 
शेष तो 
कोई ठाकुर बना ही देगा 
अपने आशीष के बल से 
तुम्हे 
नर से नरेन्द्र !

विवेक हो सदा 
आनंद से पहले 
ऐसे तुम कोटि कोटि 
विवेकानंद बनो !

उत्तिष्ठ भारत !
प्राणवान हो !!
प्राणवान हो !!!
प्रज्ञा हो प्रखर ,
मानव की जिजीविषा का 
अकाट्य एक प्रमाण हो !
 
तुम दान हो माटी को 
पूज्य वंशधरो का 
भारती का यश हो 
यशगान हो !


Monday, January 9, 2023

जोशीमठ इज सिंकिंग डाउन आवर फेयर मोदी !

PMO to hold high-level meet on Joshimath crisis, Uttarakhand officials to  attend - India Today
joshimath is sinking down , our fair Modi !

 


जोशीमठ धंस रहा है ,
ढह रहा है प्यारे मोदी  !

जिससे बिजली ,
जिसका पानी ,
खूब खींची ,
खूब सींचा , देश ने ?
तुमने ... मित्रों ने भी !
आज वोही

बूढ़ा ... शंकर कह रहा है
जोशीमठ  दरक रहा है ,
ढह रहा है प्यारे मोदी  !

बनाया ,
जिद करके जो
खंड उत्तर ,
बह रहा है ...
बेअसुल
मुनाफा वसूल
विकास की
अंधी धार में


प्यारा , न्यारा ...
भोला बद्री  !
कराहता कर्णप्रयाग !
कह रहा ...
बचा सको.. गर
बचालो  ...

होते ,देखते , तुम्हारे
जोशीमठ डूब रहा है ,
ढह रहा है प्यारे मोदी !

बचा सको जिनको ,
उतनो को तो
बचा लो !
चौबीस का शंख
बज चुका
अब
कुर्सी ही मत सम्हालो  !

गरीब , गुरबा सब
कह रहा है
मत करना निराश ,
वक्त है,
सम्हलो नहीं
सम्हाल लो ...  !

जोशीमठ धंस रहा है ,
ढह रहा है प्यारे  मोदी !

Monday, January 2, 2023

अहो ! सिर्फ नारी हूँ मैं !

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मनुष्य कहाँ हूँ ?
पशु से भी 
कमतर ...
 
ढकी हुई 
लाचारी हूँ मैं !

संविधान के 
लच्छेदार 
अनुच्छेदों में ...
 
उलझी हुई 
बीमारी हूँ मैं !

धर्मग्रंथो की 
ग्रंथियों में ...
कुंठित !
 
शापित !
महामारी हूँ मैं ...

विश्वपटल के 
क्रियाकलाप पर ...
 
नैतिकता सी !
भारी हूँ मैं ....

माँ ,पत्नी ,
बहन ,बेटी ,
हो बटी हुई ...
 
हिन्दू मुस्लिम में 
कटी हुई...

भाषण कविता में 
रटी हुई ...
 
भूल गयी थी 
नारी हूँ मैं !!!

निर्लज्ज पौरुष के ,
लम्पट ,कपट भवन में ...
 
दबी हुई 
चिंगारी हूँ मैं ..... 




Thursday, December 29, 2022

परवाज़ ... एक उड़ान !

300+ Free Little Sparrow & Sparrow Images - Pixabay

 

मैं छोटा ,

मेरा मतलब छोटा ,

मनसूबे / हौंसले है ...

मगर छोटे !

 

लगा मत बैठना ...

मेरी परवाज़ का अंदाजा !!!

देखकर ...

ये मेरे ...पर छोटे !

Tuesday, December 27, 2022

बाबू अब तुम बड़े हो गए !

 

Father and son beginning to walk | Line art drawings, Father and son,  Simple line drawings
अपने बेटे को उसके बीसवे जन्मदिवस पर प्यार भरी सीख , ढेरो स्नेह और आशीर्वाद  के साथ !

 
बाबू अब तुम बड़े हो गए
जिम्मेदारी समझोगे !
अपना बचपन छोड़ के
एकदिन
हमरी चप्पलें जो पहनोगे .... 

तब ही
शायद समझ सकोगे
उलझन हमरी
सब सांझे सुख दुःख
हंस गा कर
तुम भी ऐसे जी लोगे  

जीवन क्या है ?
एक कपट जाल सा
मनुज उस में फंस जाते है
सब जीवो में
अलग जात है
बुद्धिमान कहलाते है ???

फिर रच रच
ना ना प्रपंच बहुत विधि
खुद ही को समझाते है !!!
पढ़ पढ़ पुराण
ईतिहास धुरंदर...
उसको ही
दोहराते है !!!

है वही आदतें
वही लड़कपन ,
वही खिलौने
नया कलेवर ,
रूप बदल कर
मृग-तृष्णा-तुर
अधुनातन कहलाते है ?

भोजन देना
भूखे को ,
दान कर सको
विद्या का कर देना
सब गौरव पा जाओगे !

बस यौवन / धन का
आग्रह मत रखना ,
मौज में रहना
सहज में कहना !

वर्तमान ही
जीवन है
बीत गई
सो बात गयी !

आगे का आगे सोचेंगे
बोझ ना मन पर
तनिक न लेना !

अंत समय
अपने मानस को
निर्मल ही
प्रभु चरण अर्पण कर देना !

अस्तु बिटुआ इतना ही
कहना है !
हमको तुमको
इस धरती / माटी में
रहकर / रचकर ही 
बहुत प्रेम से ...धीरे धीरे
परिपाटी को ... 
कुछ.. पहले से ... थोड़ा सा ही
बेहतर करना है !

सेन्योरुभ्योर्मध्ये विषीदन्तमिदं - समर मध्य क्यों विहँसे गोविन्द ?

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|| सेन्योरुभ्योर्मध्ये विषीदन्तमिदं ||

सहजता
निश्छलता
करुणा सहज हास
स्वभाव है जिनका ,
जो स्वयं ही
माया पति
लीला प्रपंच रचते रहते , नित सभी !

वो ही ,
बस केवल वही तो ,
हंस सकते है !
रणभूमि में , वरन
श्मशान में भी !

घटोत्कच के उत्सर्ग पर ,
द्रोण के "नरो वा कुंजरो वा "
जैसे लांछनो पर भी, तो
रथ निकालते  कर्ण के
धर्म-वचनो पर भी ,
दुर्योधन के कुचक्र पर ,
दुर्वासा के प्रयोजन ,
और गांधारी के श्राप तक पर !

हँसना ही तो !
भूल गया है ,
अति-आधुनिक
बहु-संपन्न-प्रबुद्ध-सबल मानव ?
इसलिए तो कुरुक्षेत्र  में
केवल वो गुरु है ,
ईश्वर है !
और पार्थ, तो बेबस मानव है !

जो छीन रहे हँसी
दुधमुहों
नवविवाहिताओं
कुमारिकाओं तक की
वे हो कोई , कभी , कही
वही कुरुसेनाहै |
निश्चय ही अधम है
दनुज है ,
वही दानव है !
 
हास्य योग ही नहीं ,
अस्तु उपलब्धि है योग की !
चरम अवस्था है ध्यान की !!
पराकाष्ठा प्राणायाम की !!!

हास्य करुणा है !
हास्य अनुभव से अर्जित
अजेय निर्भयता है ! प्रिय पार्थ !

अस्त्र है हास्य
जो हर लेता है
विकट काल को
सभी प्रपंच और जंजाल को भी |

तभी तो
कुंठित कुरु ही नहीं ,
उद्धत वीर पाण्डु भी नहीं ,
न संजय, न तो धृतराष्ट्र ही , हँसे |

अस्तु ,गीता में हँसे तो
बस मेरे गोविन्द ही
राधा के रमण
बृज के गोपाल
रच कर युद्ध का
देखो कैसा महारास हँसे ....